बच्चों के विकास की दशायें जिनमें विकास में घटाव होता है

बच्चों के विकास की प्रगति का रुक जान या विकास में घटाव होना (पहले प्राप्त हुई विकास की क्षमताओं को खो देना – जैसे जो बच्चा पहले बोल पाता हो वह बोलना बंद कर दे) एक चिंता की अवस्था है जिसकी समय से पूरी जांच होनी चाहिये|

ऐसे दशायें जिनमें विकास में रुकाव या घटाव होता है:

  • आटिज्म
  • मिर्गी के दोरे लगातार पड़ने से दिमाग पर प्रभाव (Epileptic encephalopathy)
  • रेट्स सिंड्रोम (Rett syndrome)
  • मस्तिष्क के डीजेनरेटीव विकार (Degenerative neurological disorders)
  • बचपन में मानसिक विघटन (childhood disintegrative disorder)

 

जिन बच्चों को आटिज्म होता है उनमें से करीब एक तिहाई के विकास में घटाव होता है| यह घटाव अकसर एक साल से दो साल की उम्र के बीच मैं और भाषा की क्षमता में होता है| चलने फिरने की क्षमता में कमी नहीं होती| इस घटाव के साथ आटिज्म के कुछ चिन्ह भी दिखाई देते हैं|

तीन साल की उम्र के बाद विकास में घटाव होना, और उसके साथ पेशाब/पाखाना करने पर नियंत्रण ख़त्म हो जाना बचपन में मानसिक विघटन (childhood disintegrative disorder) कि दशा में होता है| यह दशा बहुत कम बच्चों को होती है|

मिर्गी के दोरे epilepsy करीब हर 200 में से 1 बच्चे को आते हैं| ज्यादातर बच्चों के विकास पर इसका असर नहीं या कम पड़ता है. इनके लगातार पड़ने से दिमाग पर प्रभाव (Epileptic encephalopathy) की वजह से विकास का घटना बहुत कम बच्चों को होता है| जिन बच्चों को आटिज्म होता है उन्हें मिर्गी के दौरे आने की संभावना ज्यादा होती है| बहुत ही कम बच्चे एक तरह के मिर्गी के दौरे (Landau–Kleffner syndrome) की वजह से बोलने की क्षमता खो देते हैं| अगर ऐसा कोई शक हो तो डॉक्टर (बच्चों के न्यूरोलॉजिस्ट) को दिखा कर EEG (बच्चे के सोते समय) करना चाहिये|

अगर किसी बच्चे के विकास में लगातार कमी या घटाव  होता रहे तो उसे मस्तिष्क के डीजेनरेटीव विकार (Degenerative neurological disorders) हो सकते हैं| अगर ऐसा कोई शक हो तो डॉक्टर (बच्चों के न्यूरोलॉजिस्ट) को दिखाना चाहिये|

 

इससे संबंधित जानकारी के लिए देखें: आटिज्म से मिलते जुलते या साथ होने वाले विकार