आटिज्म होने की संभावना बढ़ाने वाले कारण

कुछ कारण या परिस्थितियां आटिज्म होने की सम्भावना बढ़ाते हैं, हालाँकि यह नहीं कहा जा सकता की इनकी वजह से आटिज्म होता है क्योंकि ये परिस्थितियां बिना आटिज्म के भी हो सकती हैं| इस बारे में फेली हुई कुछ बातें गलत भी हैं जैसे बच्चों को दिए जाने वाले वेक्सिनेशन से आटिज्म का सम्बन्ध|

आटिज्म होने की संभावना बढ़ाने के कारण

  • भाई/बहन को आटिज्म होना
  • माता पिता में कोई मानसिक विकार जैसे स्किज़ोफ्रेनिया (schizophrenia)
  • गर्भ के समय माँ को सोडीयम वल्प्रोएट (sodium valproate) देना
  • लड़को में आटिज्म लड़कियों से 4-5 गुना ज्यादा होता है
  • समय से पहले पैदा होना (35 हफ्ते से पहले) या जन्म के समय कम वजन (2.5 Kg से कम वजन)
  • जन्म के बाद दिमाग में सूजन (Neonatal encephalopathy)
  • और दशाएँ जिनमें आटिज्म ज्यादा होता है: बौद्धिक विकलांगता, नाजुक एक्स सिंड्रोम, टूबेरौस स्क्लेरोसिस, सेरेब्रल पाल्सी, डाउन सिंड्रोम, मांसपेशीय दुर्विकास, भ्रूण शराब सिंड्रोम, खराब प्रबंधित फिनाइल कीटोन बीमारी
आटिज्म होने का बच्चों को वेक्सिनेशन देने से, उनके खाने के तरीके से, या उनके पलने पोसने के तरीके से कोई सम्बन्ध नहीं है|

 

आनुवंशिक या जेनेटिक (Genetic) दशायें जो आटिज्म की संभावना बढ़ाती है:

आटिज्म के जेनेटिक् कारण अलग से लिखे गए हैं| यहाँ कुछ ऐसी जेनेटिक दशाओं का जिक्र है जिनके होने से आटिज्म के होने की सम्भावना बढती है|  इनमें मुख्य हैं आटिज्म की जीन में बदलाव या mutations  जैसे FMR1 (fragile X syndrome), MECP2 (Rett syndrome), TSC1/TSC2 (tuberous sclerosis complex), और CACNA1C (Timothy syndrome), और कुछ क्रोमोसोम की बदलाव जैसे मां से आया हुआ 15q11–13 duplications (dup15q syndrome), ऐसी सब दशाएं मिलकर करीब 15% आटिज्म के लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं |[i]

कुछ जेनेटिक दशाओं में वातावरण और जीन दोनों मिलकर आटिज्म होने का अंदेशा बढ़ाते हैं| फिनायेलकीटोनूरिया (phenylketonuria) के मरीज के खाने में अगर  फिनायेलअलनीन (phenylalanine) ज्यादा हो तो आटिज्म होने का अंदेशा ज्यादा होता है|

वातावरण की दशायें जो आटिज्म की संभावना बढ़ाती है (Environmental risk factors):

वातावरण विकास पर केसे असर करता है?

वातावरण में होने वाले नुकसानदायक पदार्थ मस्तिष्क के निर्माण, संगठन और सम्बन्ध बनाने के कई स्तरों पर असर करते है| यह असर सीधा मस्तिष्क पर या immune function की खराबी या oxidative stress के जरिये होता है|

इन पदार्थों के असर से जीन की प्रक्रिया में भी बदलाव ला सकता है|

मस्तिष्क के विकास को सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला समय

हमारे मस्तिष्क का विकास गर्भावस्था में सबसे ज्यादा होता है| पहले 6 महीनों में वातावरण में होने वाले नुकसानदायक पदार्थ विकास को सबसे आसानी से प्रभावित करते है| नीचे दिये चित्र में मस्तिष्क का गर्भावस्था में प्रारम्भिक विकास और वातावरण में होने वाले नुकसानदायक पदार्थ  दिखाए गए हैं:

मां के पोषण का बच्चे के विकास पर असर

मां के पोषण में कमी का बच्चे के विकास, मस्तिष्क के सही निर्माण और मानसिक अवस्था पर असर पड़ता है| अभी तक फोलिक एसिड (जो स्पाइना बैफिडा से भी सम्बंधित है) की मां में कमी का बच्चे के आटिज्म होने से थोड़ा सम्बन्ध पता चला है[ii].

गर्भावस्था में मां के शाराब पीने, धुम्रपान करने और ड्रग्स लेने भी बच्चे के विकसा पर बुरा असर पड़ता है|

गर्भावस्था में ली गयी दवाइयों का असर

वैल्प्रोइक एसिड, जो मिर्गी के इलाज में और कुछ मानसिक अवस्थों में प्रयोग के जाती है, का गर्भावस्था में प्रयोग करने से बच्चे को आटिज्म होने की संभावना बढ़ती है|

वातावरण में होने वाली धातुओं का विकास पर असर

वातावरण में होने वाली कुछ धातुओं की मात्र बढ़ने पर विकास पर बुरा असर पढ़ता है, यह धातुएं हैं: mercury, cadmium, और nickel.iii

Ethyl mercury कुछ वेक्सीन और दवाइयों में भी preservative (thimerosal) की तरह इस्तेमाल होती है| अभी तक किसी रिसर्च में इन वेक्सिन की वजह से बच्चों को आटिज्म या कोई और विकार होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है.| iii

और जानकारी से लिंक:

WHO से जानकारी:

अमेरिकन जानकारी: CDC की सूचना

लेड (Lead)  या सीसे से मस्तिष्क के विकास पर बुरा असर पढ़ता है. अभी तक आटिज्म से इसके सम्बन्ध के बारे में कोई प्रमाण नहीं हैं.

जिन बच्चों को आटिज्म होता है वह अक्सर कुछ भी अपने मुंह में डाल लेते हैं.  इससे लेड बच्चों के अंदर जा सकता है और उनके विकास पर बुरा असर डाल सकता है. लेड पुराने पेन्ट में अक्सर पाया जाता है.

वातावरण के रासायनिक पदार्थ और विकास

वातावरण में हवा और पानी में दूषण होना और उसका विकास पर संभावित असर चिंता का विषय है| अभी तक इसके आटिज्म से सम्बन्ध के प्रमाण कम मिलें हैंii.

फसलों पर छिड़कने वाली दवाईयों से विकास और आटिज्म का सम्बन्ध अभी तक प्रमाणित नहीं हो पाया हैii.

[i] जेसन ए चेन, ओल्गा Peñagarikano, टी अनुदान Belgard, विवेक स्वरूप और डेनियल एच Geschwind। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के उभरते चित्र: आनुवंशिकी और पैथोलॉजी। रोग के तंत्र: पैथोलॉजी की वार्षिक समीक्षा। वॉल्यूम। 10: 111-144

[ii] Lyall, लालकृष्ण, श्मिट, आर जे, और हर्ट्ज-Picciotto, मैं (2014)। मातृ जीवन शैली और आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकारों के लिए पर्यावरण जोखिम कारकों। महामारी विज्ञान के इंटरनेशनल जर्नल, 43 (2), 443-464।

[iii] Newschaffer मुख्य न्यायाधीश, Croen ला, डेनियल जम्मू, Giarelli ई, Grether जे, एट अल। 2007 आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकारों के महामारी विज्ञान। अन्नू। रेव पब्लिक हेल्थ 28: 235-58